16वीं सदी में कैथोलिक चर्च भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए थे। पोप पैसे लेकर पापों के लिए माफीनामा बेचता था। चर्च के भ्रष्टाचार के खिलाफ बगावत की चिंगारी को शोलों में बदलने के लिए जरूरत एक ऐसे इंसान की थी जो भ्रष्टाचार की व्यवस्था के खिलाफ खड़ा हो और उस पर प्रहार करे
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