23 जनवरी को देश स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उन्हें नमन कर रहा है। 1920 में प्रतिष्ठित ब्रिटिश सरकार की प्रतिष्ठित ICS की परीक्षा पास करने के बाद भी उन्होंने वह नौकरी नहीं की। भारत लौटकर वह चितरंजन दास के साथ जुड़ गए। युवा सुभाष चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। 1921 में प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आगमन का उन्होंने विरोध किया था। देशबन्दु चितरंजन दास के साथ युवा सुभाष ने इस शाही स्वागत के विरोध में पुरजोर आवाज़ उठाई थी।
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